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2) नया मेहमान



शीर्षक = नया मेहमान



यादों के झरोके में एक और याद गार पल आपके समक्ष रखने जा रहा हूँ, या यूं कहिये अपनी इस ख़ुशी को अपने पाठकों के साथ साँझा करने जा रहा हूँ


बच्चें, जिनकी किलकारियों से सूने पड़े आँगन में भी बहार सी आ जाती है, बच्चें जिनके चेहरे पर हलकी सी मुस्कान देख दिन भर की थकान दूर हो जाती है  और जिनके साथ बड़े भी बच्चें बन जाते है ।


बच्चें, जो की पति पत्नि के रिश्ते को मजबूत कर उन्हे एक चरण से दुसरे चरण में ले जाते है , जो अब तक सिर्फ और सिर्फ पति पत्नि थे  वो अब माता पिता बन जाते है , माता पिता बनना जो की दुनिया का सबसे खूबसूरत एहसास है 


एक माँ अपने बच्चें को स्पर्श करने के लिए, उसे अपने आँचल में छिपाने के लिए अपनी गोदी में उठाने के लिए , उसके नन्हे नन्हे हाथो को अपनी उंगलियों से सेहलाने के लिए  9 महीने का इंतज़ार करती है, इन नो महीने  अपनी औलाद के खातिर  जो दर्द और तकलीफे वो सहती है , जिन जिन चीज़ो का वो त्याग कर देती है , अपनी मनपसंद चीज  चाह कर भी नही खाती की कही उसका असर उसके बच्चें पर ना हो जाए, हलके बुखार और दर्द में दवाई भी नही लेती की कही उसका गलत असर न हो जाए

और वही दूसरी तरफ उस बच्चें का पिता जो उसके आमद की तैयारी अपने दिमाग़ में लेकर चलता है और ज्यादा से ज्यादा मेहनत करता है ताकि अपने होने वाले बच्चें को अच्छे से इस दुनिया में ला सके , अस्पताल और दवाओं के खर्चे में कोई कमी ना आ जाए इसलिए कई कई बार ओवरटाइम भी करता है , सच में माँ बाप जैसा कोई दूजा नही इस दुनिया में जो अपनी औलाद से बिना किसी मतलब के ही बेपनाह प्यार करते है  और उनकी ख़ुशी के खातिर  हर हद से गुज़र जाने का हौसला रखते है 


खेर मुद्दे की बात करते है, साल 2022 का चौथा महीना था । जब हमारे घर नये मेहमान की आमद हुयी और हमें चाचा बनने का अवसर मिला क्यूंकि हमारे बड़े भाई साहब के घर एक चाँद से बेटे ने जन्म लिया, वैसे हमारी ख्वाहिश तो यही थी  की खुदा हमारे भाई को पहली औलाद बेटी दे क्यूंकि वो बाप खुशनसीब होते है जिनकी पहली औलाद बेटी होती है , और खुदा की रहमत उन पर नाजिल होती है


ये सब तो खुदा के हाथ में है  जिसे चाहे बेटी दे और जिसे चाहे  बेटा और जिसे चाहे  बेऔलाद रखे , उसके भेद वही जाने, हम सब को बस उसकी रज़ा में खुश रहना चाहिए  और हर दम उसके द्वारा दी गयी नेमतों का शुक्र अदा करना चाहिए 


नये मेहमान की आमद  ने हम सब को ही खुश कर दिया, उसके नन्हे नन्हे पाँव, और छोटी छोटी उंगलियां जिनसे उसने मेरा हाथ पकड़ा  वो लम्हा बहुत ही प्यारा था , चारों और खुशियाँ ही खुशियाँ थी , रिश्तेदारों के फ़ोन आ रहे थे बधाई देने के लिए 


उसी ख़ुशी के माहौल में भी हम सब की आँखे एक शख्स को ढूंढ रही थी, वो और कोई नही बल्कि हमारे पापा थे  जो बहुत साल पहले ही इस दुनिया से जा चुके है , लेकिन वो अब भी हमारे दिलो में और हमारी यादों में हर पल ज़िंदा है 


ऐसे ही यादों के संदूक में बंद कुछ खट्टी तो कुछ मीठी यादों से वाबस्ता होने के लिए जुड़े रहे मेरे साथ जब तक के लिए शब्बा खेर



यादों के झरोखे से 





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4 Comments

Gunjan Kamal

06-Dec-2022 01:21 PM

👏👌🙏🏻

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Pratikhya Priyadarshini

30-Nov-2022 11:24 PM

Very nice 👌🌺

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Vedshree

30-Nov-2022 08:41 PM

Bahut khub

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